Edited By Mehak,Updated: 01 Jun, 2025 05:29 PM

भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की सेना को कड़ी शिकस्त दी। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत से सीजफायर की मांग की, जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया। इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन...
नेशनल डेस्क : भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की सेना को कड़ी शिकस्त दी। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत से सीजफायर की मांग की, जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया। इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन हाल ही में विदेश में मौजूद भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने साफ किया कि सीजफायर की पहल पाकिस्तान ने ही की थी।
मलेशिया के कुआलालंपुर में मौजूद भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे जेडीयू सांसद संजय कुमार झा ने बताया कि सीजफायर पूरी तरह से द्विपक्षीय था और पाकिस्तान की तरफ से इसे प्रस्तावित किया गया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के DGMO (Director General of Military Operations) ने सीजफायर के लिए संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन हॉटलाइन में तकनीकी दिक्कतें थीं।
संजय झा ने आगे बताया, 'पाकिस्तान की तरफ से सुबह संघर्ष विराम का प्रस्ताव आया, लेकिन हॉटलाइन काम नहीं कर रही थी। फिर पाकिस्तान के लोग भारत में अपने दूतावास से संपर्क करने लगे और भारतीय अधिकारियों को बताया कि वे डीजीएमओ से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन बात नहीं हो पा रही है।'
उन्होंने बताया कि लगभग डेढ़ से दो बजे के बाद बात संभव हुई और भारतीय डीजीएमओ ने पाकिस्तान के डीजीएमओ से बातचीत की। इसके बाद दोपहर 3 बजकर 35 मिनट पर दोनों पक्षों ने सीजफायर का समझौता किया। संजय झा ने कहा, 'भारत युद्ध नहीं चाहता था, हमारा मकसद केवल आतंकवादी ठिकानों को तबाह करना था, जो हमने कर दिखाया।'
यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई को शाम 5:25 बजे भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की घोषणा की थी। यह घोषणा झा के बताये गए बातचीत के लगभग दो घंटे बाद हुई। इसके बाद दोनों देशों ने युद्ध विराम की पुष्टि की। इस पूरी प्रक्रिया से साफ हो गया कि सीजफायर की पहल पाकिस्तान ने की थी और भारत ने केवल जवाब दिया। भारत का मकसद क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखना है और आतंकवाद को खत्म करना है।